निकाय-पंचायत से पहले खींवसर और मंडावा उपचुनाव में सरकार की परीक्षा


 प्रदेश में झुंझुनू की मंडावा और नागौर की खींवसर विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव होंगे। 24 अक्टूबर को नतीजों के साथ ही यह तय हो जाएगा कि भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने में कामयाब रहती है या प्रदेश में सत्तासीन कांग्रेस भाजपा के विजय रथ को रोक पाती है। हालांकि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के पास पूर्ण बहुमत है। लेकिन इसके बाद भी इन दोनों सीटों पर जीत या हार कांग्रेस और भाजपा बहुत मायने रखती हैं क्योंकि विधानसभा उप चुनावों के बाद प्रदेश में निकाय और पंचायत चुनाव भी हाेने हैं। उपचुनाव में जिस पार्टी का झंडा बुलंद होगा उसे निकाय व पंचायत चुनावों में भी इसका फायदा मिलना तय है।


हालांकि पिछले तीन चुनावों के नतीजे देखते हुए इन सीटों पर भाजपा का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। दोनों जाट बाहुल्य सीटें हैं। लेकिन एक बात जो कांग्रेस के पक्ष में है वह यह कि इन सीटों पर कांग्रेस काे हराने वाले प्रत्याशी अब लाेकसभा में पहुंच गए हैं अाैर इस बार चुनावी मैदान से बाहर हैं। इस बार प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। वोट देते वक्त जनता के दिमाग में यह बात भी रहती है कि जो विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचेगा वह सरकार से उनके काम करवा पाएगा या नहीं। वहीं भाजपा के लिए प्लस प्वाइंट यह है कि विधानसभा के बाद इन क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव भी भारी अंतर से जीती है। 


मंडावा (झुंझुनूं)
लगातार दो विधानसभा चुनाव जीतने वाले नरेंद्र खींचड़ अब भाजपा के सांसद हैं। यहां पिछले तीन विधानसभा चुनावों में से कांग्रेस ने सिर्फ एक जीता है। 2008 में मंडावा से कांग्रेस की रीटा चौधरी ने निर्दलीय नरेंद्र खींचड़ को बेहद नजदीकी मुकाबले में हराया था। लेकिन इसके बाद 2013 व 2018 में खींचड़ ने लगातार रीटा चौधरी को बड़े अंतर से मात दी। हालांकि 2013 के चुनावों में नरेंद्र खींचड़ और रीटा चौधरी दोनों ही निर्दलीय चुनाव लड़े। इसके बाद 2018 में नरेंद्र खींचड़ भाजपा और रीटा चौधरी कांग्रेस से लड़ीं। 2019 के आम चुनावों में नरेंद्र कुमार झुंझुनू से सांसद चुनकर लोकसभा पहुंच गए। 


खींवसर (नागौर)
आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल इस सीट पर जीत की हैट्रिक पूरी कर चुके हैं। लेकिन 2019 में वे भी भाजपा से गठबंधन कर नागौर से सांसद चुनकर लोकसभा पहुंच चुके हैं। हालांकि विधानसभा उपचुनावों में भी यहां बेनीवाल की आरएलपी और भाजपा गठबंधन करने जा रही हैं। 2008 में बेनीवाल ने यहां भाजपा के टिकट पर बसपा को हराया। कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही। 2013 में बेनीवाल निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते। 2018 में बेनीवाल ने इस सीट पर अपनी पार्टी आरएलपी के टिकट पर चुनाव जीता। इसमें उन्होंने कांग्रेस के सवाई सिंह को 16 हजार वोटों से मात दी